दिल्लीक ताज पैलेस होटल मे 31 अगस्त के राज दरभंगा केर इतिहास आ संस्कृति केर गौरवित अध्याय पुनः जीवित भेल। अवसर छल कुमार अरिहंतक अठारहम जन्मदिन आ इतिहासकार तेजकर झा के लिखल पुस्तक “राज दरभंगा: धर्म संरक्षण सं लोक कल्याण” क विमोचनक। एकर संग मिथिला आ राज दरभंगाक स्वर्णिम परंपरा पर राष्ट्रीय स्तरक चर्चा सेहो भेल।
राज दरभंगा नाम सुनिते आंखि आगां उभरि अबैत अछि- विशाल किला, मंदिरक घंट आ शंखक ध्वनि, मैथिल जीवनशैलीक गौरव आ संस्कृतिक प्रहरी महाराज। ई बस जागीरदारी अथवा सामंती सत्ता नहि छल। ई राजवंश धर्मक रक्षा, जनकल्याण आ विद्याक प्रसार लेल प्रसिद्घ भेल। एहि राजवंशक शासन कालमे शिक्षा, चिकित्सा, संगीत, साहित्य आ स्थापत्य, सब क्षेत्रमे नव चेतना उठल।
एहि भव्य आयोजनमे दरभंगा राजक नव पीढ़ीक आगा बढ़बाक संकेत सेहो मिलल। राजपरिवारक उत्तराधिकारी कुमार अरिहंत सिंहक अठारहम जन्मदिन धूमधाम सं मनायल गेल। पिता कुमार कपिलेश्वर सिंह कहलनि जे हमर पूर्वज लोकनि जे योगदान द’ गेलथि, ओ मात्र राज दरभंगाक नहि, बल्कि सम्पूर्ण मिथिला आ भारतक अछि। लोककल्याण हमर परंपरा अछि आ ई परंपरा निरंतर जारी रहत।
सभामे उपस्थित लोक सभ लेल ई क्षण भावुक करय छल। एकसाथ अतीतक गौरव आ भविष्यक आशा मंच पर साकार होइत देखायल। आरएसएस केर सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले अपन उद्बोधन मे कहलनि जे यूरोपक राजा शोषण आ विलासक प्रतीक मानल गेलाह। मुदा भारतक राजा, विशेष रूप सं राज दरभंगा, जनकल्याणक प्रतीक आ विष्णुक स्वरूप मानल गेलाह। ओ जखन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालयक स्थापना मे महाराज रामेश्वर सिंहक योगदानक चर्चा खएलखिन्ह, तखन दरबार हॉल तालिक गड़गड़ाहट सं गूंजमान भ’ उठल।
ओ कहलखिन्ह जे बीएचयू के स्थापना लेल दरभंगा महाराज तत्काल पांच लाख रुपैया द देलखिन्ह आ पंडित मदन मोहन मालवीय संग चलिकय विश्वविद्यालय लेल 14 लाख सं बेसी राशि सेहो जुटैलखिन्ह। दरभंगा मेडिकल कॉलेज, स्कूल आ विश्वविद्यालय-पाठशालाक नींव रखबाक कार्य एहि राजवंशक अद्भुत परोपकारी दृष्टिकोणक परिणाम रहल।
एहि अवसर पर केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव अपन भाषणमे कहलनि जे मिथिला मात्र भूगोल नहि, अपितु भारतक आत्मा अछि। राजा जनक सं ल’ क’ दरभंगा राज धरि, एहि माटिक दर्शनशास्त्रीय आ सांस्कृतिक धारा सम्पूर्ण भारतक विचारधाराक मार्गदर्शन करैत रहल अछि। ओ दरभंगाक स्थापत्य, विश्वविद्यालय आ संस्कृतिक जीवंत परंपरा पर अपन व्यक्तिगत अनुभव सेहो साझा करलाह।
कार्यक्रम के संबोधित करैत धर्मगुरु गौतम स्वामी कहलैनि जे एहि प्रकारक आयोजन जं मिथिला धरती पर, विशेष रूप सं राजनगर प्रांगणमे होइत, तं एहि गौरवक महत्ता आ बेसी बढ़ि जाइत। एहि बात पर भूपेन्द्र यादव सेहो सहमति जतैलखिन्ह।
मिथिला सं आयल सुप्रसिद्ध शंखवादक विपिन मिश्रा अपन प्रस्तुति सं ताज पैलेस होटल के दरबार हॉल मे पवित्र माहौल बना देलखिन्ह। शंखक ध्वनि सं सभ गोटेक हृदय गर्व सं भरि उठल।
अंतमे दरभंगा राजघरानाक कविता सिंह जी धन्यवाद ज्ञापन करैत सभक प्रति आभार प्रकट केलनि।
दिल्लीक ताज पैलेस मे भेल ई आयोजन सिर्फ पुस्तक विमोचन आ जन्मोत्सव मात्र नहि छल। ई भारतक अस्मिता, मिथिलाक गौरव आ परंपरा आ भविष्यक जवाबदेहीक एकजुट मंच छल।
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